
जब पूरी दुनिया पाकिस्तान की भीषण बाढ़ की तस्वीरें देख भावुक हो रही थी, उसी समय रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने जनता को एक ऐसा सुझाव दे डाला कि लोग ट्रैक्टर छोड़ मिम्स बनाने लगे।
एक न्यूज चैनल ने जब उनसे बाढ़ राहत के बारे में सवाल पूछा, तो ख्वाजा साहब ने जवाब दिया — “ये पानी अल्लाह की नेमत है, इसे घरों में जमा करें।”
— ख्वाजा आसिफ, मंत्री एवं सेल्फ-प्रोमोटेड वाटर कंसल्टेंट
‘बाढ़ को बुरा मत कहो, ये तो दुनिया के लिए तरल सोना है’
ख्वाजा साहब ने आगे कहा कि इस वक्त पूरी दुनिया पानी की किल्लत से जूझ रही है, और पाकिस्तान को बाढ़ के रूप में फ्री सब्सक्रिप्शन मिल गया है।
उन्होंने जनता से अपील की कि वो सरकार को कोसने के बजाय, बाल्टी और ड्रम लेकर पानी जमा करें। बांध नहीं है? तो क्या हुआ, घर को ही वाटर टैंक बना दो!
“बांध नहीं है तो बाल्टी ही सही”: मंत्री का समाधान मॉडल
जब उनसे पूछा गया कि सरकार ने बाढ़ से बचाव के लिए क्या किया है, तो उन्होंने स्पष्ट कर दिया:
“बाढ़ रोकने का कोई सिस्टम नहीं है। लोकल सरकार जिम्मेदार है।”
यानि सरकार सिर्फ मंत्री है, मैनेजमेंट नहीं!
बिल्कुल वैसा ही जैसे कोई डॉक्टर कहे — “बीमारी तो है, लेकिन इलाज की जिम्मेदारी मरीज की है!”

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लेकिन इसके बावजूद, जनता को सलाह दी जा रही है कि “हौसला रखो और ड्रम भरो!”
पाकिस्तान डूब रहा है… सेंस ऑफ ह्यूमर में भी!
जहां एक तरफ लोग घरों से बेघर हो रहे हैं, वहीं सरकार के मंत्री फ्लड को गॉड गिफ्ट बता रहे हैं। राजनीति का ऐसा पानीदार संस्करण शायद ही किसी देश में देखने को मिले। फिलहाल, पाकिस्तान को पानी से ज्यादा जरूरत है — नीति, नेतृत्व और सामान्य समझ की।
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